हमने हर उम्मत (कौम, गिरोह, समाज) में रसूल भेजा।
और उनके जरिए से सबको खबरदार कर दिया
कि अल्लाह की बंदगी (वंदना) करो
और तागूत की बंदगी से बचो।
(तागूत-देवता और नेता जो इंसान और ईश्वर के बीच में खड़े होकर इंसान को बुराई की तरफ ले जाए -शैतान और बुराई की शक्तियां)
नहल 16: 36
शुरु में सब लोग एक ही तरीके पर थे ।
(फिर हालत बाकी न रही और विभिन्न मत पैदा हो गए)
तब अल्लाह ने नबी भेजे जो सच्चाई पर खुशखबर
देने वाले और डराने वाले बनाकर भेजे गए
और उनके साथ सच्ची किताबें उतारी
ताकि सच के बारे में लोगों के दरमियान जो विभिन्न मत हैं उनका फैसला करे। मतभेद उन लोगों ने किया जिन्हें सच का ज्ञान दिया जा चुका था।
उन्होंने रोशन (साफ -साफ दिखने वाली) हिदायत
के बाद सच को सिर्फ इसलिए छोड़ दिया ताकि अलग अलग तरीके
निकालें क्योंकि वे आपस मे ज्यादती करना चाहते थे।
पस जो पैगम्बरों पर ईमान (विश्वास) ले आए
उन्हें अल्लाह ने अपने हुक्म से
उस सच्चाई का रास्ता दिखाया जिसमें
लोगों ने मतभेद किया था।
अल्लाह जिसे चाहता है सच्चा रास्ता दिखा देता है।
बकर 2: 213
उनके रसूलों ने उनसे कहा-वाकई हम कुछ नहीं है मगर तुम्हीं जैसे इंसान,
लेकिन अल्लाह अपने बंदो में से जिसको चाहता है नवाजता है।
इब्राहीम 14: 11
जिसने रसूल (स.अ.व.) की इताअत (फरमाबरदारी) की
उसने दरअसल अल्लाह की इताअत की।
निसा 4: 80
जो कुछ रसूल (स.अ.व.) तुम्हें दे वो ले लो
और जिस चीज से तुम्हें रोक दे रुक जाओ।
अल्लाह से डरो, अल्लाह सख्त सजा देने वाला है।
हश्र 59: 7
ऐ मोहम्मद (स.अ.व.), तुम्हारे रब की कसम ये कभी मोमिन नहीं हो सकते जब तक अपने आपसी मतभेद में ये तुमको फैसला करने वाला न मान लें, फिर जो कुछ तुम फैसला करो उस पर अपने दिलों में भी कोई तंगी महसूस न करें, बल्कि सर झुका दें (यानी दिल से मंजूर कर लें)
निसा 4: 65
मुसलमानों कहो: हम ईमान लाए अल्लाह पर और उस हिदायत पर जो हमारी तरफ नाजिल (उतरी) हुई है और जो इब्राहीम, इस्माइल, इसहाक, याकूब और याकूब की औलाद की तरफ नाजिल हुई थी, और जो मूसा और ईसा और दूसरे पैगम्बरों को उनके रब की तरफ से दी गई थी। हम उनके दरमियान कोई फर्क नहीं करते। और हम अल्लाह के फरमाबरदार हैं।
बकर 2: 136
और हमने जिस रसूल को भी भेजा इसीलिए भेजा कि अल्लाह के हुक्म के तहत उसकी इताअत (उसके कहने के मुताबिक काम करना) की जाए ।
निसा 4: 64
अलीफ लाम रा -एक सूरह है, यह हमने आपकी तरफ उतारी है ताकि आप लोगों को अलग-अलग तरह के अँधेरों से निकालकर रोशनी में लाएं, उनके परवरदिगार के हुक्म से, जबरदस्त और तारीफ वाले अल्लाह की तरफ ।
और हमने आपकी तरफ यह जिक्र (कुरआन) नाजिल किया है ताकि आप लोगों को वह तालीम (शिक्षा) खोल-खोल कर समझा दें जो उनके लिए नाजिल की गई है और ताकि वो लोग खुद भी सोचें और समझें ।
नहल 16: 44
और हमने आप (स.अ.व.) को तमाम आलम के लिए रहमत ही बनाकर भेजा है।
अम्बिया 21: 107
बेशक अल्लाह के रसूल की जिंदगी तुम्हारे लिए पैरवी का बेहतरीन नमूना है।
अहजाब 33: 21
ईमानवालो अल्लाह और उसके रसूल की इताअत करो और हुक्म सुनने के बाद उसकी रूगरदानी (अवज्ञा) न करो ।
अनफाल 8: 20
ऐ रसूल। लोगों से कह दीजिए, अगर तुम सच में अल्लाह से मोहब्बत करते हो तो मेरी पैरवी करो। अल्लाह तुम्हें अपना प्रिय बनाएगा। तुम्हारी गलतियां माफ कर देगा। और अल्लाह बहुत ही माफ करने वाला है और बड़ा ही मेहरबान है।
आले इमरान 3: 31
नबी मुसलमानों के लिए अपनी जानों से बढ़कर है।
अहजाब 33: 6
और (देखो) किसी मोमिन मर्द और औरत को अल्लाह और उसके रसूल (स.अ.व.) के फैसले के बाद अपने किसी मामले में कोई इख्तियार बाकी नहीं रहता। (याद रखो) अल्लाह और उसके रसूल की जो भी नाफरमानी करेगा वह साफ गुमराही में पड़ेगा।
अहजाब 33: 36
पस जो लोग इस रसूल पर ईमान ले आएं, उसकी मदद और हिमायत करें और उस रोशनी की पैरवी करें जो उनके साथ उतारी गई है। वही लोग कामयाबी पाने वाले हैं।
आराफ 7:157
और जो अल्लाह और रसूल की इताअत करेगा वह उन लोगों के साथ होगा, जिन पर अल्लाह ने इनाम फरमाया है। यानी अम्बिया (पैगम्बरों), सिद्दीकीन (सच्चे लोग) और शहीदों और सालेहीन (नेक काम करने वाले)। और क्या ही खूब है उन लोगों की संगत, यह है वास्तविक (सच्चा, हकीकत) इनाम (फजल) जो अल्लाह की तरफ से मिलता है और हालांकि सच्चाई जानने के लिए अल्लाह का इल्म (ज्ञान) काफी है।
निसा 4: 69-70
हमने आपको तमाम इन्सानों के लिए बशारत (खुशखबर) देने वाला और होशियार करने वाला बनाकर भेजा है।
सबा 34:28
मोहम्मद (स.अ.व.) तुममें से किसी के बाप नहीं है। वो तो अल्लाह के रसूल और आखरी नबी हैं।
अहजाब 33: 40
हमने अपने रसूल को खुली (वाजेह) निशानियाँ देकर भेजा और उनके साथ कुरआन (मार्ग दिखाने वाली किताब ) मीजाने अदल (इंसाफ की तराजू) उतारी ताकि लोग इंसाफ पर कायम हों।
हदीद 57: 25
वही है जिसने अपने रसूल को हिदायत (कुरआन) और दीने हक (सच्चा दीन) के साथ भेजा, ताकि वह उसको जीवन की तमाम व्यवस्था (निजाम) पर गालिब कर दे।
फतह 48: 28
अल्लाह और उसके फरिश्ते नबी (स.अ.व.) पर दुरूद भेजते हैं ऐ लोगो जो ईमान ले आए हो तुम भी उन पर दुरूद व सलाम भेजो ।
अहजाब 33: 56
तुम नेकियों का हुक्म देते हो और बुराइयों से रोकते हो।
आले इमरान 3: 110
ऐ नबी ! हमने आपको हक की गवाही देने वाला, नेकी पर खुशखबरी देने वाला और बुराई के बुरे परिणाम (अंजाम) से डराने वाला और अल्लाह की तौफीक (प्रेरणा) और हुक्म से अल्लाह की तरफ बुलाने वाला और रोशन चिराग (दीप) बनाकर भेजा है।
अहजाब 33: 44-45
और हमने आपको तमाम आलम (जगत) के लिए रहमत बनाकर भेजा है।
अंबिया 21: 107
जिसने रसूल की इताअत की उसने अल्लाह की इताअत की ।
निसा 4: 80
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