2.7.10

क्या कहता है कुरआन, खुद अपने बारे में


 

 

 
  • यह अल्लाह की किताब है
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  •  इसमें कोइ शक नहीं ।
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  •    हिदायत है उन परहेजगार लोगों के लिए
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  •      जो गैब (बिनदेखे) पर ईमान लाते हैं ।
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  •       नमाज कायम करते है।
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  • जो रिज्क (धन-दौलत, सामान ) हमने उनको दिया है
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  • उसमें से खर्च करते है।
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  • और जो किताब (कुरआन) तुम पर नाजिल (उतारी) की गई
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  • और जो किताबें तुमसे पहले नाजिल की गई थीं
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  • उन सब पर ईमान (मजबूत यकीन, विश्वास ) लाते हैं ।
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  • और आखिरत (मरने के बाद कियामत के दिन
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  • हिसाब के लिए उठाया जाना) पर यकीन रखते है ।
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  • बकर २ : २ - ५
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  • पहली वही-
  • पढ़ो अपने रब के नाम से जिसने पैदा किया ।
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  • पैदा किया इंसान को जमे हुए खून की फुटकी से ।
  • पढ़ो! तुम्हारा रब सब से ज्यादा करीम है !
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  • जिसने इल्म बख्शा कलम से ।
  • इल्म बख्शा इंसान को जो वह न जानता था ।
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  •                  सूरह अलक ९६:१- ५
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  • दूसरी वही-
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  • ओढ़ लपेटकर लेटने वाले ।
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  • उठो और खबरदार करो ।
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  • और अपने परवरदिगार की बड़ाई का ऐलान करो ।
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  • और अपने कपड़े पाक रखो ।
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  • और गंदगी से दूर रहो ।
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  • और एहसान न करो ज्यादा हासिल करने के लिए ।
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  • और अपने रब की खातिर सब्र करो ।
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  • मुदस्सर ७४: १-७
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  • हकीकत यह है कि कुरआन वह रास्ता दिखाता है,
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  • जो बिल्कुल सीधा है।
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  • जो लोग इसे मानकर भले काम करने लगे,
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  • उन्हें खुश खबर देता है
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  • कि उनके लिए बड़ा अज्र (बदले में इनाम) है ।
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  • और जो लोग आखिरत को न मानें
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  • उन्हे यह खबर देता है कि उनके लिए
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  • हमने दर्दनाक (दुख भरा) अजाब तैयार कर रखा है ।
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  • बनी इसराईल १७: ९-१०
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  • और ऐलान कर दो कि हक (सच) आ गया
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  • और बातिल (झूठ) मिट गया,
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  • बातिल तो मिटने ही वाला है ।
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  • हम इस कुरआन के सिलसिले में
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  • वह कुछ नाजिल (उतार रहे है) कर रहे हैं
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  • जो मानने वालों के लिए तो शिफा और रहमत हैं
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  • मगर जालिमों के लिए खसारे (घाटे) के सिवाय
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  • किसी चीज में इजाफा (बढ़ोतरी) नहीं करता
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  •                               - बनी इसराईल १७:८१-८२
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  • हमने इस (कुरआन) को शबे कद्र में नाजिल(उतारा) किया और तुम क्या जानो कि शबे कद्र क्या है? शबे कद्र हजार महीनों से ज्यादा बेहतर है।
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  • फरिशते और रूह (जिबराइल) इस रात में अपने रब के आदेश से हर हुक्म लेकर उतरते है।
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  • वह रात सरासर सलामती है तुलुअ फज्र तक
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  • - कदर ९७: १-५
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  • जब कुरआन तुम्हारे सामने पढा जाए,
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  • तो उसे तवज्जोह (ध्यान) से सुनो,
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  • और खामोश रहो,
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  • शायद कि तुम पर रहमत हो जाए।
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  •                          - अराफ ७:२०४
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  • और इसी तरह यह किताब हमने उतारी है एक बरकत वाली किताब,
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  • पस तुम उसकी पैरवी करो,
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  • और तकवे (अल्लाह से डर कर परहेजगारी)
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  • की रविश (तरीका) अपनाओ (इख्तियार करो)
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  • दूर नहीं कि तुम पर रहम (दया) किया जाए।
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  • अनाम ६:१५५

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