लेख


सच कबूल करने वालों की दास्तां- किताब- इस्लाम की छांव में


इस पुस्तक में शामिल है   इस्लाम कबूल करने वाले दुनिया के मशहूर लोगों की दास्तां।    ये मशहूर लोग हैं-अमरीका के मशहूर बॉक्सर मुहम्मद अली, भारत के मशहूर संगीतकार ए आर रहमान, पाकिस्तानी क्रिकेटर मुहम्मद यूसुफ, जरमैन जैक्शन, तमिलनाडू के मशहूर उपन्यासकार अब्दुल्लाह अडियार, भारत की प्रसिद्ध लेखिका कमला सुरैया, जर्मनी के पूर्व राजदूत डॉ मुराद हॉफमेन, इंग्लैण्ड के पॉप स्टार...

रामधारी सिंह दिनकर का इस्लाम के बारे में नजरिया


रामधारी सिंह दिनकर (प्रसिद्ध साहित्यकार और इतिहासकार)जब इस्लाम आया, उसे देश में फैलने से देर नहीं लगी। तलवार के भय अथवा पद के लोभ से तो बहुत थोड़े ही लोग मुसलमान हुए, ज़्यादा तो ऐसे ही थे जिन्होंने इस्लाम का वरण स्वेच्छा से किया। बंगाल, कश्मीर और पंजाब में गाँव-के-गाँव एक साथ मुसलमान बनाने के लिए किसी ख़ास आयोजन की आवश्यकता नहीं हुई। ...मुहम्मद साहब ने जिस धर्म का उपदेश दिया...


इस्लाम और पर्यावरण: एक झलक


जल और थल में बिगाड़ फैल गया खुद लोगों की ही हाथों की कमाई के कारण, ताकि वह उन्हें उनकी कुछ करतूतों का मजा चखाए, कदाचित वे बाज आ जाएं। (कुरआन-30:41) पैगम्बर मुहम्मद सल्ल. ने फरमाया अगर कयामत आ रही हो और तुम में से किसी के हाथ में कोई पौधा हो तो उसे ही लगा ही दो और परिणाम की चिंता मत करो। पैगम्बर मुहम्मद सल्ल. ने फरमाया-जिसने अपनी जरूरत से ज्यादा पानी को रोका और दूसरे लोगों को...


करिश्माई है आब ए जमजम


 हम आपको रूबरू करवा रहे हैं उस इंजीनियर शख्स से जिसने करीब चालीस साल पहले खुद आब ए जमजम का निरीक्षण किया था। जमजम पानी का सैंपल यूरोपियन लेबोरेट्री में भेजा गया । जांच में जो बातें आई उससे साबित हुआ कि जमजम पानी इंसान के लिए रब की बेहतरीन नियामत है। आम पानी से अलग इसमें इंसानों के लिए बड़े-बड़े फायदे छिपे हैं। इंजीनियर तारिक हुसैन की जुबानी आबे जमजम पर जापानी वैज्ञानिक...


स्वामी विवेकानंद का इस्लाम के बारे में नज़रिया


‘‘...मुहम्मद (इन्सानी) बराबरी, इन्सानी भाईचारे और तमाम मुसलमानों के भाईचारे के पैग़म्बर थे। ...जैसे ही कोई व्यक्ति इस्लाम स्वीकार करता है पूरा इस्लाम बिना किसी भेदभाव के उसका खुली बाहों से स्वागत करता है, जबकि कोई दूसरा धर्म ऐसा नहीं करता। ...हमारा अनुभव है कि यदि किसी धर्म के अनुयायियों ने इस (इन्सानी) बराबरी को दिन-प्रतिदिन के जीवन में व्यावहारिक स्तर पर बरता है तो वे इस्लाम...


मशहूर साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद का इस्लाम के बारे में नज़रिया


मुंशी प्रेमचंद (प्रसिद्ध साहित्यकार)‘‘...जहाँ तक हम जानते हैं, किसी धर्म ने न्याय को इतनी महानता नहीं दी जितनी इस्लाम ने। ...इस्लाम की बुनियाद न्याय पर रखी गई है। वहाँ राजा और रंक, अमीर और ग़रीब, बादशाह और फ़क़ीर के लिए ‘केवल एक’ न्याय है। किसी के साथ रियायत नहीं किसी का पक्षपात नहीं। ऐसी सैकड़ों रिवायतें पेश की जा सकती है जहाँ बेकसों ने बड़े-बड़े बलशाली आधिकारियों के मुक़ाबले में न्याय...


इस्लाम आतंक? या आदर्श


इस्लाम आतंक? या आदर्श-   यह पुस्तक का नाम है जो कानपुर के स्वामी लक्ष्मीशंकराचार्य जी ने लिखी है। इस पुस्तक में स्वामी लक्ष्मी शंकराचार्य ने इस्लाम के अपने अध्ययन को बखूबी पेश किया है। स्वामी लक्ष्मी शंकराचार्य के साथ दिलचस्प वाकिया जुड़ा हुआ है। वे अपनी इस पुस्तक की भूमिका में लिखते हैं-    मेरे मन में यह गलत धारणा बन गई थी कि इतिहास में हिन्दु राजाओं...


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