अलफातिहा
अल्लाह के नाम से जो बेइंतेहा मेहरबान और रहम करने वाला है।
तारीफ अल्लाह ही के लिए है जो तमाम
कायनात (जहानों) का रब है। निहायत मेहरबान
और रहम फरमाने वाला है । रोजे जजा
(इंसाफ का दिन ) का मालिक है । हम तेरी ही
इबादत करते हैं और तुझी से मदद मांगते हैं ।
हमें सीधा रास्ता दिखा, उन लोगों का रास्ता
जिन पर तूने इनाम फरमाया, जो मातूब
(जिन पर गजब किया गया) नहीं हुए, जो
भटके हुए नहीं है ।
'आमीन' (कबूल फरमा)
पहली वही-
पढ़ो अपने रब के नाम से जिसने पैदा किया।
पैदा किया इंसान को जमे हुए खून की फुटकी से ।
पढ़ो! तुम्हारा रब सब से ज्यादा करीम है!
जिसने इल्म बख्शा कलम से ।
इल्म बख्शा इंसान को जो वह न जानता था।
सूरह अलक 96: 1- 5
दूसरी वही-
ऐ ओढ़ लपेट कर लेटने वाले ।
उठो और खबरदार करो ।
और अपने परवरदिगार की बड़ाई का ऐलान करो ।
और अपने कपड़े पाक रखो ।
और गंदगी से दूर रहो ।
और एहसान न करो ज्यादा हासिल करने के लिए ।
और अपने रब की खातिर सब्र करो ।
मुदस्सर 74: 1 - 7
यह अल्लाह की किताब है
इसमें कोइ शक नहीं ।
हिदायत है उन परहेजगार लोगों के लिए
जो गैब (छिपी हुई बातों) पर ईमान लाते हैं ।
नमाज कायम करते हैं ।
जो रिज्क (धन-दौलत, सामान ) हमने उनको दिया है
उसमें से खर्च करते हैं।
और जो किताब (कुरआन) तुम पर नाजिल (उतारी) की गई
और जो किताबें तुमसे पहले नाजिल की गई थीं
उन सब पर ईमान (मजबूत यकीन, विश्वास) लाते हैं ।
और आखिरत (मरने के बाद कयामत के दिन
हिसाब के लिए उठाया जाना) पर यकीन रखते हैं ।
वही लोग हैं जो अपने रब के सीधे रास्ते पर हैं और वही कामयाबी पाने वाले हैं।
बकर 2: 2 - 5
हकीकत यह है कि कुरआन वह रास्ता दिखाता है,
जो बिल्कुल सीधा है।
जो लोग इसे मानकर भले काम करने लगे,
उन्हें खुश खबर देता है
कि उनके लिए बड़ा अज्र (बदले में इनाम) है ।
और जो लोग आखिरत को न माने
उन्हें यह खबर देता है कि उनके लिए
हमने दर्दनाक (दुख भरा) अजाब तैयार कर रखा है ।
बनी इस्राईल 17: 9-10
और ऐलान कर दो कि हक (सच) आ गया
और बातिल (झूठ) मिट गया,
बातिल तो मिटने ही वाला है ।
हम इस कुरआन के सिलसिले में
वह कुछ नाजिल (उतार) कर रहे हैं
जो मानने वालों के लिए तो शिफा और रहमत हैं
मगर जालिमों के लिए खसारे (घाटे) के सिवाय
- बनी इस्राईल 17: 81-82
हमने इस (कुरआन) को शबे कद्र में नाजिल किया (उतारा) और तुम क्या जानो कि शबे कद्र क्या है? शबे कद्र हजार महीनों से ज्यादा बेहतर है।
फरिश्ते और रूह (जिब्राइल) इस रात में अपने रब के आदेश से हर हुक्म लेकर उतरते हैं। वह रात सरासर सलामती है तुलुअ फज्र तक।
- कद्र 97: 1-5
तो उसे तवज्जोह (ध्यान) से सुनो,
और खामोश रहो,
- आराफ 7: 204
पस तुम उसकी पैरवी करो,
और तकवे ( अल्लाह से डर कर परहेजगारी )
की रविश (तरीका) अपनाओ (इख्तियार करो)
दूर नहीं कि तुम पर रहम (दया) किया जाए।
अनआम 6 : 155
को कायम किया होता जो उनके रब की तरफ से उनके पास
भेजी गई थीं। ऐसा करते तो उनके लिए ऊपर से रिज्क बरसता और नीचे से निकलता।
मायदा 5: 66
और फरमाया (अल्लाह ने) - तुम दोनों (यानी इंसान और शैतान) यहां (जन्नत) से उतर जाओ। और तुम एक दूसरे के दुश्मन रहोगे। अब अगर मेरी तरफ से तुम्हें कोई हिदायत पहुँचे तो जो कोई इस हिदायत की पैरवी करे वह न भटकेगा न बदबख्ती में मुब्तिला होगा। और जो मेरे जिक्र से मुंह मोड़ेगा उसके लिए दुनिया में तंग जिन्दगी होगी और कयामत के दिन हम उसे अंधा उठाएंगे। वह कहेगा 'परवरदिगार दुनिया में तो मैं आंखों वाला था, यहां मुझो अंधा क्यो उठाया ?' अल्लाह फरमाएगा, 'इसी तरह तू हमारी आयात को जबकि वह तेरे पास आई थीं, तूने भूला दिया था। उसी तरह आज तू भूलाया जा रहा है। इस तरह हम हद से गुजरने वाले और अपने रब की आयात न मानने वाले को (दुनिया) में बदला देते हैं और आखिरत का अजाब ज्यादा सख्त और ज्यादा देर रहने वाला है।'
ताहा 20: 123-127
अल्लाह का कलाम सबके लिए ही है।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा काम कर रहे हैं आप !
हम हरेक नेक काम में आपके साथ हैं।
जज़ाकल्लाह !