कुरआन सिर्फ मुसलमानों के लिए ही नहीं है। यह आपके, हमारे और दुनियाभर के तमाम इंसानों के लिए है।
27.4.10
कुरआन की सुनें- दिल के बारे में
इंसान के जिस्म में दिल की अहमियत कम नहीं है। दिल जब खुश होता है तो सब कुछ बेहतर और बढिय़ा लगता है। लेकिन दिल की बेचैनी सुकून को छीनने वाली होती है। कुरआन की चंद आयतें जिनमें जिक्र है दिल का-
कह दो कि तुम्हारे दिलों में जो कुछ है उसे चाहे तुम छिपाओ या व्यक्त करो,अल्लाह उसे जानता ही है। और वह जानता है जो कुछ आकाश में हैं और जो कुछ धरती में हैं। और अल्लाह को हर चीज का सामथ्र्य प्राप्त है। (कुरआन-३:२९)
और अल्लाह का डर रखो। निसंदेह अल्लाह दिलों तक की बातें जानता है।
(कुरआन-५:७)
ईमान वाले तो वही हैं कि जब अल्लाह को याद किया जाए तो उनके दिल कांप उठें और जब उनके सामने उसकी आयतें पढ़ी जाएं तो वे उनके ईमान को और बढ़ा दें, और वे अपने रब पर भरोसा रखते हैं। (कुरआन-८:२)
ऐ लोगो, तुम्हारे पास तुम्हारे रब की ओर उपदेश आ गया है,दिलों में जो कुछ (बीमारी) है उसके लिए इलाज और ईमान वालों के लिए मार्गदर्शन और दयालुता। (कुरआन-१०:५७)
अल्लाह के जिक्र से दिलों को इत्मीनान हासिल होता है। (कुरआन-१३:२८)
और अब चंद हदीसें(पैगम्बर मुहम्मद साहब के फरमान) भी-
खुदा से बहुत ज्यादा दूर वे लोग हैं जो सख्त दिलवाले हैं।
(हदीस:तिर्मिजी)
दिल की पाकी के लिए-
मौत को अक्सर याद करो और कुरआन को पढ़ो।
यतीम के सिर पर हाथ फेरा करो और दरिद्र को खाना खिलाया करो। इससे तुम्हारा दिल नरम होगा। (हदीस:अहमद)
जिस शख्स के दिल में जर्रा बराबर भी घमण्ड होगा वह स्वर्ग में नहीं जाएगा। (हदीस:बुखारी)
कंजूसी-लालच और ईमान,दोनों किसी अल्लाह के बन्दे के दिल में एक साथ जमा नहीं हो सकते। (हदीस:नसई)
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