- यह अल्लाह की किताब है
- इसमें कोइ शक नहीं ।
- हिदायत है उन परहेजगार लोगों के लिए
- जो गैब (बिनदेखे) पर ईमान लाते हैं ।
- नमाज कायम करते है।
- जो रिज्क (धन-दौलत, सामान ) हमने उनको दिया है
- उसमें से खर्च करते है।
- और जो किताब (कुरआन) तुम पर नाजिल (उतारी) की गई
- और जो किताबें तुमसे पहले नाजिल की गई थीं
- उन सब पर ईमान (मजबूत यकीन, विश्वास ) लाते हैं ।
- और आखिरत (मरने के बाद कियामत के दिन
- हिसाब के लिए उठाया जाना) पर यकीन रखते है ।
- बकर २ : २ - ५
- पहली वही-
- पढ़ो अपने रब के नाम से जिसने पैदा किया ।
- पैदा किया इंसान को जमे हुए खून की फुटकी से ।
- पढ़ो! तुम्हारा रब सब से ज्यादा करीम है !
- जिसने इल्म बख्शा कलम से ।
- इल्म बख्शा इंसान को जो वह न जानता था ।
- सूरह अलक ९६:१- ५
- दूसरी वही-
- ऐ ओढ़ लपेटकर लेटने वाले ।
- उठो और खबरदार करो ।
- और अपने परवरदिगार की बड़ाई का ऐलान करो ।
- और अपने कपड़े पाक रखो ।
- और गंदगी से दूर रहो ।
- और एहसान न करो ज्यादा हासिल करने के लिए ।
- और अपने रब की खातिर सब्र करो ।
- मुदस्सर ७४: १-७
- हकीकत यह है कि कुरआन वह रास्ता दिखाता है,
- जो बिल्कुल सीधा है।
- जो लोग इसे मानकर भले काम करने लगे,
- उन्हें खुश खबर देता है
- कि उनके लिए बड़ा अज्र (बदले में इनाम) है ।
- और जो लोग आखिरत को न मानें
- उन्हे यह खबर देता है कि उनके लिए
- हमने दर्दनाक (दुख भरा) अजाब तैयार कर रखा है ।
- बनी इसराईल १७: ९-१०
- और ऐलान कर दो कि हक (सच) आ गया
- और बातिल (झूठ) मिट गया,
- बातिल तो मिटने ही वाला है ।
- हम इस कुरआन के सिलसिले में
- वह कुछ नाजिल (उतार रहे है) कर रहे हैं
- जो मानने वालों के लिए तो शिफा और रहमत हैं
- मगर जालिमों के लिए खसारे (घाटे) के सिवाय
- किसी चीज में इजाफा (बढ़ोतरी) नहीं करता
- - बनी इसराईल १७:८१-८२
- हमने इस (कुरआन) को शबे कद्र में नाजिल(उतारा) किया और तुम क्या जानो कि शबे कद्र क्या है? शबे कद्र हजार महीनों से ज्यादा बेहतर है।
- फरिशते और रूह (जिबराइल) इस रात में अपने रब के आदेश से हर हुक्म लेकर उतरते है।
- वह रात सरासर सलामती है तुलुअ फज्र तक
- - कदर ९७: १-५
- जब कुरआन तुम्हारे सामने पढा जाए,
- तो उसे तवज्जोह (ध्यान) से सुनो,
- और खामोश रहो,
- शायद कि तुम पर रहमत हो जाए।
- - अराफ ७:२०४
- और इसी तरह यह किताब हमने उतारी है एक बरकत वाली किताब,
- पस तुम उसकी पैरवी करो,
- और तकवे (अल्लाह से डर कर परहेजगारी)
- की रविश (तरीका) अपनाओ (इख्तियार करो)
- दूर नहीं कि तुम पर रहम (दया) किया जाए।
- अनाम ६:१५५
कुरआन सिर्फ मुसलमानों के लिए ही नहीं है। यह आपके, हमारे और दुनियाभर के तमाम इंसानों के लिए है।
2.7.10
क्या कहता है कुरआन, खुद अपने बारे में
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